Tuesday, June 11, 2013
एक हादसा..!!
कल रात छत पर
फलक की जानिब
टकटकी बाँधे
सियाह चादरों तले
सितारों का खेल देखा
कुछ मद्धिम कुछ उजले
कुछ सर उठाए कुछ कुचले
सब अपनी रोशनी में
छुपे अंधेरों पर
रोते-बिलखते से दिखे
जब शायर ने
किसी नाज़नीं के निगाहों
को सितारा लिखा था
सारे कैसे एक साथ
मुस्कुराए थे,
तभी अचानक
एक हादसा हुआ
हाँ, हादसा ही तो था
धू-धू कर मेरे अरमान जले थे
ख्वाबोँ का बेरहम क़त्ल हुआ था
चाँद पर भी शायद खून सवार था
तभी एक सितारा दूर कहीं
मेरे नाम का टूटा था
और
सभी ने सोचा
कोई दुआ क़ुबूल हुई ।
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Zelene says..........nice one....keep it up .:)
ReplyDeletethank you chhutki :)
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