शोहरतों के बाज़ार से मुझे मेरे हिस्से का नाम दे
ताउम्र मेरे साथ हो मुझे एक अज़ीम इनाम दे
ज़मींदोज मेरा अक्स हो मुझको न झूटी शान दे
सबसे रहूँ महरूम पर मुझे ग़ैरत औ ईमान दे
ख़ुशी की सुबह जो बक्श दे मुझे ग़म की भी वो शाम दे
कुछ पलों में जीना सीख लूँ मुझे उम्र न तू तमाम दे
मेरे हसरतों का हिसाब रख मुझे सुकूँ औ इत्मीनान दे
मुझे अपनी गोद में सुला के तू मेरे रूह को अब क़याम दे
ताउम्र मेरे साथ हो मुझे एक अज़ीम इनाम दे
ज़मींदोज मेरा अक्स हो मुझको न झूटी शान दे
सबसे रहूँ महरूम पर मुझे ग़ैरत औ ईमान दे
ख़ुशी की सुबह जो बक्श दे मुझे ग़म की भी वो शाम दे
कुछ पलों में जीना सीख लूँ मुझे उम्र न तू तमाम दे
फिरता रहा हूँ दर-बदर मेरे क़दमों को अब आराम दे
एक राह मुझे दिखा के तू मेरे जुस्तजू को अंजाम देमेरे हसरतों का हिसाब रख मुझे सुकूँ औ इत्मीनान दे
मुझे अपनी गोद में सुला के तू मेरे रूह को अब क़याम दे
kamal karety ho.... bahut khoob
ReplyDeleteshukriya jee..!!
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