वो हँसी वो शरारतें तेरा वो संजीदापन
तेरा साया भी मुझसे दूर हो तो डरता हूँ मैं ।तेरे एहसास मेरे तहरीर में यूँ रवाँ-गवाँ हैं
तू जो ख़ामोश हो पल भर को तो डरता हूँ मैं ।
लाख हमदर्द मेरे ग़म को कहीं बाँट भी लें ग़र
न हो हाथों में तेरा हाथ तो डरता हूँ मैं ।
मेरे ख़्वाबों में तेरे साथ तमाम ज़िन्दगी जियूँ
पर तेरी आहट को भी हूँ महरूम तो डरता हूँ मैं ।
मेरी रूह को सर-बसर है तेरे उल्फ़त की आरज़ू
मयस्सर और को है ये सोच के डरता हूँ मैं ।
मेरे पहलूनशीं होकर तू जब हाल-ए-दिल कहती है
बेरहम पल वो जब गुज़रे तो डरता हूँ मैं ।
बेबस मेरी निगाहों को है तेरे विसाल की हसरत
तू आकर भी चली जाए तो डरता हूँ मैं ।