It's turning out to be the embodiment of my thoughts.
हसीं ख्वाब कोजिन्दा रहने दो रुख पे नकाब ...काबिज़ रहने दो..गर उठ गया ये पर्दा तो जाने क्या हो कही ख्वाबों का खून न हो जाये ..?हुस्ने दीदार की ख्वाहिशमुकमल रहने दो रुख पे नकाब काबिज़ रहने दो.....
tah-e-dil se shukriya..!!par ye anonymity kyun??
हसीं ख्वाब को
ReplyDeleteजिन्दा रहने दो
रुख पे नकाब ...
काबिज़ रहने दो..
गर उठ गया ये पर्दा
तो जाने क्या हो
कही ख्वाबों का खून न हो जाये ..?
हुस्ने दीदार की ख्वाहिश
मुकमल रहने दो
रुख पे नकाब
काबिज़ रहने दो.....
tah-e-dil se shukriya..!!
Deletepar ye anonymity kyun??